Saturday, September 10, 2022

विजय और जय

कुरुक्षेत्र में पांडवो को भगवान श्री कृष्ण के आशीर्वाद से और अर्जुन जैसे योद्धाओं के पराक्रम से जो मिला उसे विजय कहते हैं। लेकिन उस विजय से उपर भी कुछ है। उसे जय कहते हैं। वो जय का रास्ता भी प्रत्येक मनुष्य को प्रशस्त है। भगवान बुद्ध ने वो रास्ता दिखा दिया। अपने क्रोध, अहंकार पर काबु पाने का रास्ता जय पथ है। 

पृथ्वी पर विजय और जय दोनों की जरूरत होती है। प्रमुख लक्ष्य तो जय ही होता है। लेकिन वहाँ तक का रास्ता कभी कभी विजय पथ से हो के गुजरता है। 

भगवान बुद्ध ईश्वर के बारे में न के बराबर बोलते हैं। बहुत कम। कलि युग में रहता है बहुतों को कि ईश्वर को नहीं मानेंगे। खुद करेंगे जो करेंगे। 

लेकिन जिस तरह भगवान श्री कृष्ण ने कहा "मैं ही राम हुँ" उसी तरह भगवान बुद्ध ने एक बार कहा "मैं ही राम हुँ" और भविष्य पुराण तो हजारों साल पुराना है। 

All of space and time are contained within God.  




भविष्य पुराण में कल्कि अवतार के सफ़ेद वाहन का जिक्र है। लोग उसे सफ़ेद घोडा कहते आए हैं। शायद वो हवाईजहाज है। 

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