अगर समाधान पैसारहित समाज (Moneyless Society) है तो उसका मतलब क्या? एक मॉडल हुवा कि जैसे मैनहैट्टन में नयी बिल्डिंग खड़ा करते हैं। पुराना गिरा दो। उस जगह नयी खड़ी करो। एक दुसरा मॉडल है जो अभी अभी एथरियम (Ethereum) वालो ने किया। कहते हैं एक उड़ रही हवाईजहाज का इंजिन हवा में ही बदल दिया। हवाईजहाज उड़ती की उड़ती रह गयी। मेरा मानना है पैसारहित समाज (Moneyless Society) तक पहुँचने का वो दुसरा मॉडल उपलब्ध है।
बिभिन्न किस्मके प्रश्न आते हैं। पहले तो एक मॉडल तैयार करना होगा। एक आईडिया के रूप में। सभी किस्म के प्रश्न आमंत्रित करने होंगे। प्रश्नों के जवाब देने होंगे। उसके बाद एक पायलट प्रोजेक्ट। नेपाल में कर के दिखाना होगा। लोग स्वेच्छा से उस में सहभागी होंगे। सत्य युग समाज पार्टी चुनाव लड़ के, जित के, सत्ता में पहुँच के काम करेगी। नेपाल के बाद भारत और चीन।
लेकिन एक बात तय है। अभी जो तकनिकी और इनोवेशन का दौर द्रुत गति में चल रहा है वो तो चलेगा। आप के हात का स्मार्टफोन खुद पैसारहित समाज (Moneyless Society) का एक सटीक नमुना है। सन १९८० में एक मिलियन डॉलर बराबर के उपकरण खरीदने पड़ते थे वो सब करने के लिए जो आज आप अपने स्मार्टफोन पर मुफ्त में करते हैं। आप का स्मार्टफोन डीमोनीटाइजेशन (demonetization) का एक अच्छा नमुना है।
पैसारहित समाज (Moneyless Society) का ये अर्थ न लगा लें कि आधुनिकता और समृद्धि गायब। लेकिन कल जा के अगर पैसारहित समाज (Moneyless Society) में हवाई सफर का डिमांड काफी गिर जाता है और अभी के तुलना में बहुत कम लोग सफर करते हैं तो समस्या क्या है?
दुनिया का अर्थतंत्र आज कहाँ पर है और आगे दश बीस साल किधर जा रही है उसका मॉडलिंग करने वालो में एक हैं पीटर डाइमंडिस। उन्होंने जो चित्रण किया है और दो दशक बाद के पैसारहित समाज (Moneyless Society) में क्लैश होना जरूरी नहीं।
लेकिन रोडमैप ही ये है वो मैं नहीं कह रहा।
कुछ बातें टैक्टिकल होते हैं। जैसे कि परिचय वाली बात। कल्कि सेना में बात समझ के सम्मिलित लोग, उस में भी उच्च पदस्थ लोग। वो अगर पुछेंगे तो परिचय भी देंगे और भविष्य पुराण के आधार पर प्रमाणित भी कर देंगे। ये बात। दुसरी बात पैसारहित समाज के निर्माण के लिए अर्थशास्त्र, राजनीति, विज्ञान, तकनिकी के विषयों पर बहस वाला रास्ता ज्यादा सटीक है। धर्म का बात करिए लोग तुरन्त बिखर जाएंगे। पत्थर की मुर्ति तो गाय का मांस। इन्हीं बातों में लोग उलझ जाएंगे। बहस में भाग ही नहीं लेंगे। लेकिन जो लोग खुद धर्म और ईश्वर की बात करना चाहे उनसे वार्तालाप होगा। क्यों नहीं। मैं ये समझ रहा। परिचय तो काम स्थापित करेगी। कल्कि अवतार वो जो कलि युग समाप्त करे। कहाँ पैदा हुवे, माँ का नाम क्या, शम्भल किस शहर का नाम वो सब कम महत्व की बात है। अभी तक शम्भल को देश नहीं शहर कहते आए हैं लोग। सफ़ेद वाहन को घोडा कहते आए हैं।
विश्वव्यापी पैसारहित समाज के निर्माण के लिए अर्थशास्त्र, राजनीति, विज्ञान, तकनिकी विषयों पर बहस को केन्द्रित करना प्रगति देगी।
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